लहसुन तेजी मंदी रिपोर्ट | Lahsun Teji Mandi Report

लहसुन तेजी मंदी रिपोर्ट – Lahsun Teji Mandi Report – Lahsun Ke Bhav – Lahsun Mandi

नमस्कार किसान भाइयों लहसुन तेजी मंदी की कुछ फेक्ट जानकारी इस पोस्ट में उपलब्ध कराई गयी है अगर आपको हमारी यह जानकारी पसन्द आये तो हमारी इस पोस्ट को अन्य किसान मित्रो के साथ शेयर जरूर करे

लहुसन तेजी मंदी पर एक्सपर्ट की राय

लहसुन में जुलाई-अगस्त में प्रति किलो `10 की तेजी होगी, बहुत लंबी तेजी नहीं है : नवीन अग्रवाल
» मध्यप्रदेश में बुवाई में 50% की वृद्धि हुई है, लेकिन उपज 10% कम और 10% फसल डैमेज हुई है. 
» लहसुन में गत वर्ष 13 महीने का सीजन था और इस वर्ष 11 महीने का सीजन रहने वाला है.
 
लहसुन के बाजार में इस वर्ष बहुत तेजी होने के संयोग दिखाई नहीं देते. इस समय मध्य प्रदेश में लहसुन का भाव नीचे में प्रति किलो का `10 और ऊपर में `40 चल रहा है. आगामी दिनों में मानसून की शुरुआत होने के बाद अच्छी वर्षा हो जाए तो जुलाई -अगस्त में भाव `10 प्रति किलो बढ़ सकता है, लेकिन बहुत लंबी तेजी दिखाई नहीं देती. » मध्यप्रदेश में लहसुन की फसल इस वर्ष 50% अधिक आई है. इस वर्ष वातावरण खराब होने से उपज में 10% की कमी हुई है और डैमेज फसल 10% हुई है जिसके कारण लहसुन के बाजार में औसत उत्पादन गत वर्ष की तुलना में थोड़ी ही अधिक आएगी. लहसुन की फसल को ज्यादा वर्षा और ऊंचे तापमान ने प्रभावित किया था इसके कारण अपेक्षा अनुसार की फसल नहीं आई है. » लहसुन में यह वर्षछोटा है. लहसुन का पुराना स्टॉक अधिक होने से वर्ष 2021 में कुल 13 महीने का सीजन था और इस वर्ष मात्र 11 महीने का ही सीजन है. » मध्यप्रदेश में किसानों का माल सिर्फ 30% ही आया है. इस वर्ष स्टॉकिस्ट शेष रूप से लहसुन की खरीदी करने में सक्रिय नहीं है. पूर्व के वर्ष में भारी नुकसान होने से व्यापारी स्टाक करने के मूड में नहीं है. » लहसुन की निर्यात मांग छिटपुट ही है.मलेशिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया और फिलीपींस जैसे देशों में थोड़ा-थोड़ा माल निर्यात हो रहा है. आप कोई बड़ी निर्यात मांग नहीं है इसके कारण बाजार को भी खास समर्थन नहीं मिलता. » लहसुन में निर्यात व्यापार ही बढ़े तो भी बाजार को समर्थन मिल सकता है, लेकिन फिलहाल ऐसी कोई परिस्थिति दिखाई नहीं देती.
लहसुन में बुवाई इस वर्ष सवाया हुई, लेकिन उत्पादन में 40 से 50 प्रतिशत की कमी : जतिन सोढ़ा
» लहसुन की फसल में इस वर्ष फंगस लग जाने से बड़े पैमाने पर खराबी दिखाई दी 
» लहसुन में दिवाली तक बड़ी तेजी होने की कोई स्थिति दिखाई नहीं देती 
गुजरात सहित देश में औसतन लहसुन की बुवाई सवाया हुई थी, लेकिन इस वर्ष उत्पादन में 40 से 50% की कमी आई है. विशेष रुप से लहसुन की क्वालिटी को इस वर्ष भारी असर पहुंचा है और उपज भी घटी है. लहसुन की फसल में प्रति बीघा 15 बोरी की उपज आती थी, उस लहसुन में इस वर्ष 8 से 9 बोरी उपज है. अधिक से अधिक 10 बोरी की उपज आई थी. » लहसुन की बुवाई होने के समय नमी नहीं होनी चाहिए, लेकिन इस वर्ष पछेती वर्षा के कारण बड़े पैमाने पर नमी थी और उसके कारण लहसुन की फसल में फंगस आ गई थी. » मध्य प्रदेश की 2-3 पार्टी ने 20 से 25 गाड़ी लहसुन मंगवा कर सूखा माल बनवाया तो प्योर काला माल अधिक बना था. ` 8 से 9 प्रति किलो के लहसुन में ऐसी ही स्थिति है और `50 किलो वाले माल में भी 5% फंगस वाला माल निकलता है. इस वर्ष लहसुन में ऐसी खराबी है कि ऐसे लहसुन को बकरा भी नहीं खाता. लहसुन में वास बैठ जाने के कारण ऐसी स्थिति है. » हाल में हलवद में एक व्यापारी ने 5000 बोरी लहसुन देखा तो उसमें से 200 बोरी ही लहसुन अच्छा था. 15 जून तक फंगस वाला ही लहसुन आएगा और वर्षा होने पर ऐसा लहसुन खत्म हो जाएगा. » रतलाम की ओर किसानों द्वारा लहसुन को नदी में फेंकने के भी समाचार हैं. किसान गत वर्ष भी भाव ना मिलने से बर्बाद हो गए थे और इस वर्षभी कमजोर माल के कारण बर्बाद हुए हैं. » लहसुन के भाव के बारे में बात करे तो दिवाली के पहले औसत तेजी होने की कोई परिस्थिति दिखाई नहीं देती. 25 जून के बाद जुलाई-अगस्त में तेजी आए तो भी वह अंतरिम थोड़ी तेजी आ सकती है. इस वर्ष लहसुन में तेजी -मंदी होगी या नहीं, उसका आधार व्यापारियों या स्टाकिस्ट पर नहीं, लेकिन किसानों के माइंड सेट पर अधिक निर्भर रहने वाला है.
लहसुन में इस वर्ष तेजी मुश्किल, भाव स्थिर रहे तो भी अच्छा रहेगा : शरद दुग्गड
» लहसुन की फसल में फंगस- रोग लग जाने से 50% से अधिक माल खराब हो गया 
» निर्यात में भी खास मांग ना होने से बाजार सुधारना मुश्किल लगता ह
मध्यप्रदेश में उंटी के लहसुन में दुगनी बुवाई हुई थी, जबकि देसी माल में बुवाई गत वर्ष जितनी ही थी. औसत बुवाई 3 गुना हुई थी, लेकिन रोगफंगस लग जाने के कारण 50% से अधिक फसल खराब हो गई थी. बुवाई होने के बाद उस पर बर्फ पड़ने से क्वालिटी को भारी नुकसान पहुंचा है. » लहसुन का जनवरी से मई अंत तक का अर्थात आधा सीजन तो पूरा हो गया है और डेढ़ गुना माल पड़ा हुआ है. किसान अभी 25% माल भी बाजार में नहीं लाए हैं. किसानों को भाव ना मिलने से वे माल बाजार में नहीं लाते. किसानों की लागत के सामने अच्छा भाव नहीं है. » लहसुन का भाव इस समय हल्के माल में प्रति किलो का `2 से 30 और अच्छे माल का `25 से 100 प्रति किलो मिल रहा है. लहसुन में इस वर्ष भाव सुधरने का कोई चांस फिलहाल दिखाई नहीं दे रहा है, लेकिन बाजार टिके रहे तो भी अच्छी बात मानी जाएगी. » लहसुन में दशे ावर की मांग ठंडी है. गुजरात की महुआ लाइन की फैक्ट्रियों के पास पुराना स्टॉक बड़े पैमाने पर पड़ा होने से वे नया माल लेने के लिए तैयार नहीं है. कमीशन एजेंटों और व्यापारियों की भी इस वर्ष लहसुन का स्टॉक करने में रुचि नहीं है, जिससे शुष्क माहौल बाजार में दिखाई दे रहा है. » लहसुन में अब जून महीना आ जाने से वर्षा होगी और श्रावण महीने में मांग घट जाती है जिससे अल्पकाल में लहसुन में खास कोई तेजी होने का चांस दिखाई नहीं देता. » लहसुन की निर्यात मांग ठंडी है. सामान्य रूप से 50 लाख बोरी माल निर्यात होने पर बाजार में तेजी आ सकती है, लेकिन सिर्फ एक या दो या पांच लाख बोरी ही निर्यात होता है. » राजस्थान में भी फसल अधिक है और वहां की क्वालिटी भी कमजोर है. गुजरात में भी अच्छी फसल है. इस वर्ष उत्तर प्रदेश कहीं भी पिक्चर में नहीं है क्योंकि वहां कोई खास बुवाई नहीं हुई है. सभी राज्यों में लहसुन की फसल में पीलिया, थ्रिप्स और फंगस जैसे रोग आ जाने से माल डैमेज हुआ है.
गुजरात में लहसुन की फसल सवाया आएगी, तेजी होना मुश्किल : हसुभाई संघवी
» गुजरात और मध्यप्रदेश में लहसुन की बुवाई डबल हुई है, लेकिन फसल में रोग से खराबी अधिक है 
» गुजरात में किसानों के पास भी 90 से 95 प्रतिशत माल पड़ा होने का प्राथमिक अनुमान ह
गुजरात पूरे देश में इस वर्ष बुवाई बहुत ही अच्छी हुई थी. गुजरात में बुवाई गत वर्ष की तुलना में दोगुनी हुई है. मध्यप्रदेश में भी बुवाई हुई थी जबकि राजस्थान में डेढ़ गुना और उत्तर प्रदेश में गत वर्ष जितनी ही बुआई हुई थी. » गुजरात सहित के राज्यों में बुवाई अच्छी होने के बावजूद वातावरण खराब होने से क्वालिटी पर बड़ा असर पड़ा है. जमीन में गर्मी ज्यादा हो गई थी. विशेष रुप से मार्च और अप्रैल में तापमान सामान्य से ऊंचा होने से फसल में खराबी अधिक आई है. सौराष्ट्र में प्रति बीघा 70 मन उपज की तुलना में 35 से 40 मन की ही उपज आई है. इस प्रकार फसल के बुवाई की तुलना में बहुत कम आने की संभावना है. » लहसुन के बाजार में खरीदी नहीं निकलती है और स्टॉकिस्ट भी इस वर्ष लेवाल नहीं है, इससे बाजार में तेजी नहीं होती. लहसुन में वर्ष 2010,2011 और 2012 में अच्छी तेजी हुई थी और किसान तथा स्टॉकिस्ट की अच्छी कमाई हुई थी, इसके बाद पिछले 10 वर्षों से लहसुन में बड़ी तेजी नहीं आई है और किसी व्यापारी ने कमाई नहीं की है, ऐसे में पिछले दो-तीन वर्ष से कोरोना सहित के कारणों से मंदी ही चल रही है. » लहसुन में किसानों की घर में लागत ही `200 से 250 प्रति 20 किलो की आती है जिसके कारण फिलहाल नीचा भाव होने से किसान माल भी पकड़ कर बैठे हैं. लेकिन किसानों का माल बाजार में 5% ही आया होगा और 95% स्टाक किसानों के घर में पड़ा हुआ है. किसान माल फेंक ना देना पड़े और खराब हो जाए ऐसा ही माल बाजार में ला रहे हैं. » लहसुन में इस वर्ष निर्यात व्यापार भी नहीं है. चीन में लहसुन का भाव नीचा होने से उसका माल विश्व बाजार में सस्तेभाव से जाने से भारतीय लहसुन की कहीं भी खपत नहीं है. यदि निर्यात में लागत बैठे और निर्यात व्यापार हो तो भी थोड़ा समर्थन मिल सकता है. » कुल मिलाकर लहसुन बाजार में अल्पकाल में तेजी नहीं है. कभी भी बीच में एक अंतरिम सुधार आए तो भी वह बहुत लंबा नहीं चलेगा और बड़ी तेजी होने के कोई संयोग दिखाई नहीं देते.

 

Copyright © 2018 Mandi Bhav . All Rights Reserved.

अन्य मित्रो को शेयर करे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *