इसरो का विक्रम लैंडर पूरी तरह से स्वस्थ है। वो सही से काम कर रहा। शाम 5.44 पर वो निर्धारित प्वाइंट पर पहुंचेगा। इसके बाद लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू होगी। इसरो ने सारी तैयारियां कर ली हैं
चंद्रयान 3 से जुडी बड़ी अपडेट
CSIR के वरिष्ठ वैज्ञानिक सत्यनारायण ने कहा कि हम चंद्रमा की सतह को छूने वाले चार (देशों) के विशिष्ट समूह में शामिल होने जा रहे हैं। असफलताएं सबक देती हैं। हमने बहुत कुछ सीखा है। इसरो ने चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग कराने के लिए पर्याप्त सावधानी बरती है।


क्या चाँद पर जीवन सफल
अभी चंद्रमा पर जीवन नहीं है, लेकिन वहां के कुछ गड्ढों में तापमान 17 डिग्री सेल्सियस है। भविष्य में वहां पर जीवन हो सकता है। वहां पर कुछ गुफाएं भी हैं, जो सौर विकिरण से इंसानों की रक्षा करेंगी।
2 घंटे से कम वक्त बचा हे
चांद पर विक्रम लैंडर की लैंडिंग में दो घंटे से कम का वक्त बचा है। ऐसे में पूरा देश इस मिशन को लेकर उत्साहित है।देश भर में इसके सफलता पूर्वक लेडिंग के लिए की जा रही पार्थना और यज्ञ किये जा रहे हे मजिदो में भी इसके लिए दुवाये की जा रही हे
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शाम 5.44 पर निर्धारित बिंदु पर पहुंचेगा लैंडर
आज शाम 05.44 पर विक्रम लैंडर निर्धारित बिंदु पर पहुंच जाएगा। इसके बाद लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू होगी। ऑटोमैटिक लैंडिंग सिक्वल कमांड मिलने पर लैंडर मॉड्यूल थ्रॉटलेबल इंजन को सक्रिय करेगा।
बेंगलूरु. इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने मंगलवार को कहा ‘ऑल इज वेल।’ चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कर भारत इतिहास रचने के बेहद करीब है। अब की से कुछ ही घंटों बाद जब भारतीय क्षितिज पर सूर्य अस्ताचलगामी होगा तब, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सूर्य की पहली किरण पहुंचना शुरू करेगी और लैंडर विक्रम अपने आखिरी सफर पर निकलेगा। समय होगा शाम 5.45 बजे। अगर सब कुछ सामान्य रहा तो लगभग 19 मिनट बाद शाम 6.04 बजे मिशन चंद्रयान-3 का लैडर विक्रम, चांद की धरती पर आहिस्ते से अपना मजबूत पांव रखेगा।
वह पल भारत के वैज्ञानिको के उपलब्धियों पन्ने पर स्वर्णाक्षरों में अंकित होगा। अमरीका, रूस और चीन के बाद भारत चांद की धरती पर अपना लेंडर उतारने वाला विश्व का चौथा देश बनेगा। लेकिन, चांद के दक्षिणी ध्रुव के करीब पहुंचने वाला विश्व का पहला देश होगा। ब्रह्मांड के किसी दूसरे पिंड पर उतरने की तकनीक पहली बार भारत हासिल करेगा और सौरमंडल के दूसरे पिंडों पर भी उतरने के लिए हमारे दरवाजे खुल जाएंगे। मिशन की सफलता के लिए एक इंसान के बस में जितना कुछ हो सकता है, इसरो ने उतना सब कुछ किया है। अब तक हर पड़ाव पर शत- प्रतिशत सफलता मिली है और अब लैंडिंग का इंतजार है।